पटकथा लेखन ब्लॉग
पर प्रविष्ट किया लेखक विक्टोरिया लूसिया

21 दिन में पटकथा कैसे लिखें

लिखें 21 दिन में पटकथा

गति ही सबकुछ नहीं होती। क्या कछुए और खरगोश की कहानी से आपने यह नहीं सीखा? इसलिए, मैं आपको कभी भी जल्दबाज़ी में अपनी पटकथा पूरी करने का सुझाव नहीं दूंगी। लेकिन अगर आप कोई ऐसे इंसान हैं जिन्हें ट्रैक पर रहने में और अपना पहला ड्राफ्ट पूरा करने में परेशानी होती है तो फिर मैं आपको अपना पहला ड्राफ्ट पूरा करने में मदद करने के लिए एक समय-विशिष्ट शेड्यूल आजमाने का सुझाव ज़रूर दूंगी। और इसके लिए मेरे पास एक योजना है! इस रणनीति से आप 21 दिन में अपनी पटकथा पूरी कर लेंगे।

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अगर आप कोई शानदार पटकथा लिखने की उम्मीद कर रहे हैं तो मैं आपको इस योजना पर काम करने की सलाह नहीं दूंगी। क्योंकि इसकी वजह से आपको कोई शानदार पटकथा नहीं मिलेगी। लेकिन इससे आप अपना पहला ड्राफ्ट पा सकते हैं, जिसकी हर एक लेखक को ज़रूरत होती है। अगर पहला ड्राफ्ट ही नहीं होगा तो किसी पटकथा में सुधार करके इसे बेहतर नहीं बनाया जा सकता, इसलिए आपको वो शुरुआत देने के लिए यह एक तीन हफ्ते की प्रक्रिया है!

पहला सप्ताह

पहला हफ्ता विचार-मंथन और रूपरेखा तैयार करने के लिए होता है! इस हफ्ते के दौरान, आप अपनी कहानी को समझने और इसकी योजना बनाने के लिए बहुत सारी प्री-राइटिंग करेंगे।

  • पहला दिन

    आपका आईडिया क्या है? आपकी कहानी क्या है? यह किसके बारे में है? कहानी को कुछ वाक्यों में समेटें। "एक बार, एक __ था। हर दिन __। एक दिन__। उसकी वजह से, __। और उसके कारण, __। जब तक कि आख़िरकार__।" एक प्लेलिस्ट बनाएं जो उस भावना के लिए उपयुक्त हो, जिसकी आप कल्पना कर रहे हैं। इस बिंदु पर मूड बोर्ड भी हमेशा मज़ेदार होते हैं।

  • दूसरा दिन

    नायक कौन है, खलनायक कौन है, परिवेश क्या है, और समस्या क्या है? आपने शायद पहले ही दिन इन चीज़ों के बारे में सोच लिया होगा लेकिन अब उनके बारे में ज़्यादा जानकारी प्रदान करें और ज़्यादा बारीकी से बताएं। किरदार का कुछ विवरण लिखें। किसी दोस्त को कहानी बताने की कोशिश करें, और देखें कि वो इसके बारे में क्या सोचते हैं।

  • तीसरा दिन

    ट्रीटमेंट पर काम करना शुरू करें। यह ट्रीटमेंट सिर्फ आपके लिए है, इसलिए इसके फॉर्मेट या लंबाई के बारे में ज़्यादा चिंता न करें। तीन से पांच पन्नों का लक्ष्य रखें। बस कागज़ पर शुरुआत, मध्य, और अंत का विवरण उतारने की चिंता करें। किसी पटकथा का ट्रीटमेंट सारांश के समान होता है, लेकिन यह थोड़ा लंबा होता है।

  • चौथा दिन

    अपने ट्रीटमेंट पर काम करना जारी रखें। क्या शुरुआत कौन, क्या, कब, कहाँ और क्यों का जवाब देती है? उन कथानक बिंदुओं की एक सूची बनाएं, जो मध्य वाले भाग को आगे बढ़ाती हैं और चीजों को दिलचस्प रखती हैं। कौन से विभिन्न संघर्ष और परिणाम हो रहे हैं? चीजें कैसे आगे बढ़ रही हैं या ख़राब हो रही हैं? यह जानना आवश्यक है कि आपकी फ़िल्म का अंत कैसे होगा क्योंकि अगर आपको यह पता होगा कि आप कहाँ जा रहे हैं तो आप मंज़िल तक पहुंचने का रास्ता ख़ुद-ब-ख़ुद ढूंढ लेंगे।

  • पांचवां दिन

    अब आपका ट्रीटमेंट पूरा हो जाना चाहिए! वाह! अब आप इसे लेकर एक रूपरेखा बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आपकी रूपरेखा वैसी दिख सकती है, जैसी आपके लिए सबसे उपयुक्त हो। मेरे लिए, इसमें आम तौर पर 40-60 इंडेक्स कार्ड होते हैं (जो किसी फ़िल्म के 40-60 दृश्यों को दर्शाते हैं), और मैं अपनी कहानी के हर एक दृश्य पर जाती हूँ। प्रत्येक इंडेक्स कार्ड को एक संक्षिप्त विवरण के साथ क्रमांकित और लेबल किया जाता है। कभी-कभी मैं इसे कालक्रम के अनुसार रखती हूँ; और कभी, रैंडम तरीके से रखती हूँ। कभी-कभी शुरुआती दृश्यों से शुरुआत करना, अंत वाले दृश्यों को पूरा करना, फिर बीच में कूदना मददगार होता है। अगर आप कहीं फंस जाते हैं, तो सबसे पहले उन सभी दृश्यों के साथ शुरुआत करें जिनमें आप जानते हैं कि क्या हो रहा है, और इससे आपको उन दृश्यों का पता लगाने में मदद मिलती है जिन्हें लेकर आप निश्चित नहीं हैं।

  • छठा दिन

    अपनी रूपरेखा पर काम करना जारी रखें।

  • सातवां दिन

    अपनी रूपरेखा पर काम करना जारी रखें। या अगर यह पूरी हो गयी है तो इसकी समीक्षा करें।

दूसरा सप्ताह

यह पूरा हफ्ता लिखने के प्रवाह में आने पर केंद्रित है। अब जबकि आपने प्री-राइटिंग का काम पूरा कर लिया है और आपके मार्गदर्शन के लिए एक रूपरेखा मौजूद है तो लिखने में ज़्यादा मुश्किल नहीं आनी चाहिए।

  • आठवां दिन

    आपकी रूपरेखा तैयार होनी चाहिए। अब अपने लिखने के लिए एक शेड्यूल बनाएं। हर दिन एक ऐसा समय चुनें जिसे आप विशेष रूप से लेखन के लिए निर्धारित करने वाले हैं। आज ही बैठकर अपने पहले पांच पन्ने लिखें! आप यह कर सकते हैं! बस अपनी रूपरेखा देखें।

  • नौवां दिन

    पांच पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • दसवां दिन

    पांच पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • ग्यारहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। कुल 25 पन्ने पूरे हो गए हैं!

  • बारहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • तेरहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • चौदहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। इसे पूरा करने के बाद, आपके पास कुल 55 पन्ने होने चाहिए!

तीसरा सप्ताह

अंतिम सप्ताह अपनी रफ़्तार बनाये रखने के बारे में है। लेखन के अपने दैनिक लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश करें। औसत पटकथा 90-120 पन्नों के बीच होती है, इसलिए तीन हफ्तों के अंत तक पहुंचते समय इसका ध्यान रखें। आप चाहेंगे कि आपका अंत स्वाभाविक रूप से हो। आप ऐसे अतिरिक्त पन्नों या दृश्यों को ज़बरदस्ती नहीं डालना चाहेंगे जहाँ उनकी ज़रूरत नहीं है।

  • पंद्रहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • सोलहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। अब कुल 75 पन्ने पूरे हो गए हैं!

  • सत्रहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें।

  • अट्ठारहवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। अब कुल 95 पन्ने पूरे हो गए हैं! इस बिंदु पर कुछ लोगों की पटकथा पूरी हो सकती है! अगर आप वो इंसान हैं तो अब दोबारा लिखने का समय आ गया है 😊 या संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले थोड़ा ब्रेक लें। कभी-कभी, नए आईडिया पाने के लिए अपनी वर्तमान परियोजना को किनारे रखना सबसे अच्छा होता है।

  • उन्नीसवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। अब आप 105 पन्नों पर हैं!

  • बीसवां दिन

    10 पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। अब आप 115 पर आ जाएंगे!

  • इक्कीसवां दिन

    पांच पन्ने लिखने का लक्ष्य रखें। 120! आपने कर दिखाया! आपने अपना पहला ड्राफ्ट पूरा कर लिया है!

बधाई हो! आपने अभी-अभी एक ऐसा काम किया है, जो कई भावी पटकथा लेखक केवल इसलिए कभी नहीं कर पाते, क्योंकि वो कभी शुरुआत नहीं करते। शुरुआत में आपको अद्भुत बनने की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन अद्भुत बनने के लिए आपको शुरुआत करने की ज़रूरत होती है! अगर आप इतना आगे तक आये हैं तो आप बेमिसाल हैं। यह पूरा करने के बाद, आपको अपनी पटकथा को किनारे रखकर जश्न मनाने के लिए कुछ करना चाहिए। ख़ुद को शाबाशी दें। आप इसके हक़दार हैं! पटकथा पूरी करने और इसे संपादित करने के लिए दोबारा शुरुआत करने से पहले ख़ुद को थोड़ा समय दें। और अगर आपने 21 दिनों में इसे पूरा नहीं किया, तो भी कोई बात नहीं; इस पर काम करते रहें, हार न मानें! लिखने के लिए शुभकामनाएं।